क्यों जन्म लेती है कविता, किसी की कल्पना, दो वक्त की रोटी के लिए, कुचलता सिर अपना, वह वही जानती होगी ''शिव'' मौत की कोई कीमत होती है, पर कलम बार बार यही कहती है, हे कवि मुझे जन्म दो? क्योंकि मैं भी जीना चाहती हूं.....-शिवशंकर श्रीवास्तव