कविता

बुधवार, 31 दिसंबर 2014

हल्बी कविता

बस्‍तर राज्‍य में कभी राजकीय भाषा रही हल्‍बी बोली पर लघु कविता
शिवशंकर श्रीवास्तव

नानी दखा बड़े दखा
दखा सोहलो बाघ
कोन बनलो कोन सुनलो
आगे दखा फेर
बामन-लमान गोटकी होला
दखा नाचे मंजुर।
हिन्दी अनुवाद-  
छोटा देखो बड़ा देखो,
देखो सोया हुआ शेर,   
कौन बनेगा कौन सुनेगा,
आगे देखो फिर,
ब्रम्हाण और व्यापारी एक हो गए,
नाच रही मोरनी।